सखियां है भाव विभोर, जनकपुर देखन खों। आए ---- सखियां है भाव विभोर, जनकपुर देखन खों। आए ----
लेकिन हर अवस्था में प्रेम ही रहता है। लेकिन हर अवस्था में प्रेम ही रहता है।
पुनः गुजरा हुआ जमाना याद आता है। पुनः गुजरा हुआ जमाना याद आता है।
वह जो रंग - बिरंगे बैलूनों को बाँधे हुए अपने डंडे में समय से पहले ही बचपन को अलव वह जो रंग - बिरंगे बैलूनों को बाँधे हुए अपने डंडे में समय से पहले ही ...
पन्ना के बिन सब अधूरे पन्ना के बिन सब अधूरे
ये सब बातें शायद मुझे यही याद दिलाती। ये सब बातें शायद मुझे यही याद दिलाती।